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गीत कैसे करले कैसे करले कल्पनाएँ

है अखंडता की मेरे ये देश की ऐसी कहानी।
सात धर्मों सात जाति सात रंगों की निशानी।।
है कहाँ अब एकता ये देश मे है राजनीति।
एकता है सीमाओं पर सौर्य की प्यारी रवानी।।

है लुटी अब ये पड़ी है मन की अपने भावनाएं।
कैसे करलें कैसे करलें कैसे करलें कल्पनाएं।।

रीतियाँ भी खत्म है अब अपनी प्यारी खानदानी।
हर तरफ देखो जहाँ भी चलती है मनमानी।।
अब युवा कैसे चले है उल्टी राहों पर भटकते।
अब कोई सुनता नही है मातृ पित की दस्तानी

इसकी गिनती न हो सकेगी मां ने कितनी ली बलाए।
कैसे करलें कैसे करलें कैसे करलें कल्पनाएं।।

फूल बिखरा ही दिए है पंखुड़ी को यूं सड़क पर।
लासे गिरती चौराहों पर देखता हूं में रड़क पर।।
हाथ मे शस्त्र देखता हूँ हर युवा के तेज में जब।
काट देते शीश बो तो दुश्मनी की एक भड़क पर।।

क्या सुनाऊ देश की में दुश्मनी की ये कथाएं।
कैसे करलें कैसे करले कैसे करलें कल्पनाएं।।

*------रिहान पठान "प्रेमी"-------*

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7 Comments

Shnaya

28-May-2022 12:45 PM

बेहतरीन

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Reyaan

27-May-2022 11:59 PM

बहुत खूब

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Aliya khan

27-May-2022 12:58 AM

Wah bahut khoob

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